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यादों की चिड़िया
अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही कभी कभी, झांकते हुए से कभी इस पल्ले से ...
गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021
अदृश्य
मेरी परवाज़
मंगलवार, 29 जून 2021
पर्यावरण चिंतन -वस्तुस्थिति
शुक्रवार, 25 जून 2021
बिछोह!
गुरुवार, 24 जून 2021
शायद...!!
गुरुवार, 10 जून 2021
हमसफर
अच्छा है
कुछ कदम की हों दूरियां तो आप बढ़ के मिटा लीजिए
गुलों में सिर्फ खुशबुओं की हो जो दास्तान तो बहुत अच्छा है
साथ गर कांटे भी हों तो चुभन का मिलकर मजा लीजिए
दूर तलक तेरी राहों में सुबहा की ही आहट हो तो बहुत अच्छा है
जो कहीं सफर में रात हो चले तो आसमानों को चादर बना लीजिए
ज़िन्दगी मौसीकीयों की मजलिस हो तो क्या बात है और जो वीराने मिल जाएं कहीं तो साथ महफ़िल सजा लीजिए
कदम कदम पर जो उसकी निगहबानी हो तो बहुत अच्छा है मगर जो दूरी दरमियानी हो तो तसव्वुर में उन निगाहों को बसा लीजिए
हमसफ़र
शुक्रवार, 21 मई 2021
काश..चांदी की पायल दे पाते....
सोमवार, 17 मई 2021
अगर तुम हो वही
अगर तुम हो वही जो
लोग कहते हैं कि तुम हो
अगर तुम हो वही ...
अगर तुम हो वही ...!
अगर तुम हो वही
तो धरा को इसके पापों से छुड़ा कर
थाम लेते क्यों नही ?
अगर तुम हो वही...
अगर तुम हो वही
तो लोक क्रंदन को मिटा देते क्यों नही
अगर तुम हो वही ...!
अगर तुम हो वही
तो शोक में डूबा सारा जहां क्यों है?
बिलखती आत्मा और
रो रही एक मां क्यों है ?
क्यों जीव हर संतप्त है और
भय से कांपती हर सांस क्यों है ??
नींद क्यों आंखों से रूठी और
विचलित मन की ये दशा क्यों है ?
अगर तुम हो वही ...!
अगर तुम हो वही
तो सांस हर बोझिल है
कातर ,आर्द्र हो उठा हर स्वर क्यों है ?
अगर तुम हो समंदर तो
हर नदी की ये दशा क्यों है ?
अगर तुम हो वही ...!
अगर तुम हो वही
अगर तुम हो गगन तो
पवन की ये दशा क्यों है?
अगर तुम हो किनारा तो
भंवर में डूबती हर नाव क्यों है?
अगर तुम हो वही ...
अगर तुम हो वही ...
अगर तुम हो वही ...!!
शतरंज की बिसात
गुरुवार, 29 अप्रैल 2021
ताबेदार
मन की बात
सोमवार, 22 मार्च 2021
नन्ही परी
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
नन्ही परी
