छोटे छोटे सपने लिए नन्हे नन्हे पांवों से
घर का उजाला थी कुछ आंखों का तारा थी
छुपी हुई आशा का नया झिलमिल दीप लिए
नए सपनों का जगता हुआ नए भावों का सूरज लिए
घर मे उजालों की नई बरसात लिए
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
नन्ही परी
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
नन्ही परी
2 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर भाव ! बहुमूल्य है सौम्या,बड़ी प्यारी है वह। रिश्तों की डोर बड़े सलीके से थामे है ।आपकी कविता लाजवाब !
थैंक यू भाभी
घर मे उजालों की नई बरसात लिए
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
नन्ही परी
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