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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

सोमवार, 22 मार्च 2021

नन्ही परी

छोटे छोटे सपने लिए नन्हे नन्हे पांवों से
नन्ही कलियों को मूंदे हुए कोई परी आई कहीं
 घर का उजाला थी कुछ आंखों का तारा थी
कुछ लम्हों का गीत लिए संगीत की महफ़िल थी

छुपी हुई आशा का नया झिलमिल दीप लिए
हंसी का सरगम लिए ले के शहनाई कोई

नए सपनों का जगता हुआ नए भावों का सूरज  लिए
नए रिश्तों की डोर लिए  मेरी परी आई यहीं

घर मे उजालों की नई बरसात लिए
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
               नन्ही परी

2 टिप्‍पणियां:

Poonam Misra ने कहा…

बहुत सुंदर भाव ! बहुमूल्य है सौम्या,बड़ी प्यारी है वह। रिश्तों की डोर बड़े सलीके से थामे है ।आपकी कविता लाजवाब !

Kavita ने कहा…

थैंक यू भाभी
घर मे उजालों की नई बरसात लिए
हँसी की बूंदों की नई सौगात लिए
खुशी की उमंगों की नई बौछार लिए
बस थाम के उंगली मेरी चल दी मेरी
नन्ही परी