क्या माता का उर न कातर होता होगा?
छलनी क्योंकर न कलेजा होता होगा।
तुझको विदग्ध यूँ देख देख क्या हृदय न वो फटता होगा?
माता की पीर हृदय में रख
निजव्यथा से उठ सन्धान करो
हर माँ में वो छवि निरख निरख कर्तव्य को अंगीकार करो।
भगवान इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति आपको प्रदान करें ।
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