मेरा ही अक्स है तू शायद
फिर भी तेरी ही बात है तुझमे
कुछ जीते हुए से सपने हैं
कुछ आसमाँ भी हैं शायद
मेरे सपनों की तू इबारत है
मेरे कल का भी तुझपे साया है
कुछ तल्खी भी खुशमिजाजी भी
कुछ अरमानों का बोझ भी शायद
तेरा हौसला सिर्फ तेरा है
मेरे हौसलों के पर चुक गए हैं अब तो
आने वाले कल की आहट तू
छुपते सूरज की लाली हम शायद
कल का आसमान तेरा है
हमने तुझको तेरी परवाज़ दे दी
नाप ले तू सारी दुनिया को
अब ये तेरी या रब की है मर्ज़ी।
मुड़ मुड़ के देखना न पीछे कभी
तेरी दुनिया का क्षितिज आगे है
कभी थक जाए गगन में उड़ते हुए
तेरे अपनों का आँचल नीचे है
जब भी चाहे मैं तेरी छांव बनूं
जब भी सोए मैं तेरी ठाँव बनूं
मेरी आहट तेरी दुनिया मे हमेशा रहे
कल को कभी मैं रहूं न रहूं।
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