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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 21 अक्टूबर 2021

मेरी परवाज़

मेरा ही अक्स है तू शायद
फिर भी तेरी ही बात है तुझमे
कुछ जीते हुए से सपने हैं
कुछ आसमाँ भी हैं शायद
मेरे सपनों की तू  इबारत है
मेरे कल का भी तुझपे साया है 
कुछ तल्खी भी खुशमिजाजी भी 
कुछ अरमानों का बोझ भी शायद

तेरा हौसला सिर्फ तेरा है 
मेरे हौसलों के पर चुक गए हैं अब तो 
आने वाले कल की आहट तू
 छुपते सूरज की लाली हम शायद

कल का आसमान तेरा है
हमने तुझको तेरी परवाज़ दे दी
नाप ले तू सारी दुनिया को
अब ये तेरी या रब की है मर्ज़ी।

मुड़ मुड़ के देखना न पीछे कभी
तेरी दुनिया का क्षितिज आगे है
कभी थक जाए गगन में उड़ते हुए 
तेरे अपनों का आँचल नीचे है 

जब भी चाहे मैं तेरी छांव बनूं 
जब भी सोए मैं तेरी ठाँव बनूं 
मेरी आहट तेरी दुनिया मे हमेशा रहे
कल को कभी मैं रहूं न रहूं।




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