पेड़ों की ओट में खिलता सा चॉंद है
यामिनी में मधुर गीतों का राग है
गूँजता हर तरफ सृष्टि
का किलोल है
नीरवता भी इस समय हुई वाचाल है।
प्रेम तो प्रेम है किस एक पल का नाम लूँ
नेह की ही डोर है हाथों में थाम लूँ
कोई सॉंकल ही नहींके जिसमें इसको बॉंध लूँ
तेरी रौशनी बै चन्द्रिका सी हर तरफ समाई है।
तेरी याद तेरा साथभावों से भर गया
तू ही तू है हर तरफ मैं कहॉं बिखर गया
आसमान तेरा गीत खुद मुझे सुना गया
तू भाव बन के व्योम सा क्षितिज में समा गया।
मेरे मीत मेरी प्रीत का गीत तू संगीत तू
मेरी अर्चना भी तू मेरी आराधना भी तू
मेरे शब्द मेरे अर्थ मेरी वाक्य रंजना में तू
मेरी सॉंस मेरी आस मेरी हर झलक में तू ।
मैं रहूँ ना रहूँ तू रहे दिगंत तक
तेरे मेरे साथ के सपने पलें निज अंत तक।।

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