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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 13 सितंबर 2020

नज़्में

नकाबों की ही दुनिया है नकाबों के ही है बाजार
कातिलों को पूजते हैं मज़लूमियत के पैरोकार

 नकाबों का ही रोना क्या
रूह तक ज़र्द  है दुनिया की
किसी की मौत का बाजार
सरे महफ़िल  जमाया है।
#SSRcase

बिक रही हैं नसीहतें कातिल को खंज़र थमाने की
कहीं दर्द की नीलामी पे बोली लगत्ती है

जाहिराना तौर पर बिके हुए हैं बाजार
कहीं कातिल का सौदा है कहीं मज़लूम बिकता है
जो इंसाँ है जो दानिश है जो भूखा और  नंगा है
सरे बाजार उसकी रुसवाई का तमाशा बिकता है 
ये दुनिया है यहां किसी की मौत का मंजर बिकता है 
न मंज़र हो तो हद ये है कि इंसाफ फिर सरेजहान बिकता है
#SSRcase

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