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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

मन की बात

अश्क लिखते हैं रवां कर के लहू से अपने
चुप रहे तो ज़र्रा ज़र्रा हो के बिखर जाएंगे

हर तरफ शोर के बवंडर लहराते हुए फिरते हैं 
ये समंदर एक सन्नाटे का ले कर के किधर जाएंगे।

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