Featured post

यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

मंगलवार, 6 मार्च 2018

आहटें


कब किस जगह किस राह में 
कहीं खो गयी तेरी आहटें, 
...मेरी राहतें
मेरी मंज़िलें तेरे फासले 
मेरी चाहतें,तेरी दूरियां
..सरगोशियां,सच्चाइयां
कुछ हमकदम,कुछ हमनवा
अपने सभी,फिर भी नही
..एक हमख्याल।
एक ख्वाब सा, कुछ दूर सा
अपना नही मगर खुद सा
..कोई दोस्त था।
कोई खामख्वाह,बेहोश सा,
सपना कोई मदहोश सा,
....नींद का झोंका कोई।
.बस सुबह की नींद का हासिल कोई;
ना साथ था,ना साथ है,
.....फिर भी कहीं जगता हुआ,

  1. .....अपना कोई।

कोई टिप्पणी नहीं: