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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 10 जून 2021

हमसफर

 अच्छा है 

कुछ कदम की हों दूरियां तो आप बढ़ के  मिटा लीजिए 


गुलों में  सिर्फ खुशबुओं की हो जो दास्तान तो बहुत अच्छा है 

साथ गर कांटे भी हों तो चुभन  का मिलकर मजा लीजिए


दूर तलक तेरी राहों में सुबहा की ही आहट हो तो बहुत अच्छा  है 

जो कहीं सफर में रात हो चले तो आसमानों को चादर बना लीजिए 


ज़िन्दगी मौसीकीयों की मजलिस हो तो क्या बात है और जो वीराने मिल जाएं  कहीं तो साथ महफ़िल सजा लीजिए


कदम कदम पर जो उसकी निगहबानी हो तो बहुत अच्छा है मगर जो  दूरी दरमियानी हो तो  तसव्वुर में उन निगाहों को बसा लीजिए


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