उलझनों की बिसात पर
चलता हुआ
एक मोहरा है जीवन
आशा निराशा के
सफेद काले खानों में
चलता दौड़ता फांदता
कभी ऊंट कभी घोड़ा तो
कभी प्यादा है जीवन
कभी दूजे से
कभी खुद से लड़ता
कभी हारता है जीवन
बादशाहत किसी की
बनाये रखने को
खुद के लिए मौत को
स्वीकारता है जीवन
उलझनों की बिसात पर खुद से
हर पल हारता है जीवन
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