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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

सोमवार, 17 मई 2021

शतरंज की बिसात

उलझनों की बिसात पर
 चलता हुआ 
 एक मोहरा है जीवन
आशा निराशा के 
सफेद काले खानों में 
चलता दौड़ता फांदता 
कभी ऊंट कभी घोड़ा तो 
कभी प्यादा है जीवन
कभी दूजे से 
कभी खुद से लड़ता 
कभी जीतता जंग तो 
कभी हारता है जीवन 
बादशाहत किसी की 
बनाये रखने को
खुद के लिए मौत को
स्वीकारता है जीवन
उलझनों की बिसात पर खुद से 
हर पल हारता है जीवन

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