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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

सोमवार, 6 जुलाई 2015

तेरा होना--

अहसास की लम्बी उँगलियों से ,वक़्त की उन अंधी गलियों से गुजर के
तेरे चेहरे  को जब मैं छूती हूँ ,तेरे होने को महसूस करती हूँ
यादों के आईने से गुजर कर, कांपते होठो ,बढती हुई साँसों और भीगी हुई सी पलकों से
तुझको चूम लेती हूँ और तेरे होने को महसूस करती हूँ
खामोश उस पल को सीने में दफ़न कर , उन बंद गलियों के मुहाने पे जा कर
तुझको अलविदा सा कह कर, भारी कदमों से वापस जब मैं होती हूँ —-
————————————तेरे होने को महसूस करती हूँ
अहसास की लम्बी उँगलियों से ,
वक़्त की उन अंधी गलियों से गुजर के
तेरे चेहरे  को जब मैं छूती हूँ 
,तेरे होने को महसूस करती हूँ ll

यादों के आईने से गुजर कर,
 कांपते होठो ,बढती हुई साँसों 
और भीगी हुई सी पलकों से
तुझको चूम लेती हूँ ;और,
 तेरे होने को महसूस करती हूँ ll

खामोश उस पल को 
सीने में दफ़न कर , 
उन बंद गलियों के मुहाने पे जा कर,
तुझको अलविदा सा कह कर,
 भारी कदमों से;
 वापस जब मैं होती हूँ —
——तेरे होने को महसूस करती हूँ ll

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

भावनापूर्ण अभिव्यक्ति है। अच्छा लिखा है। लिखते रहिये। शुभकामनायें।

Unknown ने कहा…

भावनापूर्ण अभिव्यक्ति है। अच्छा लिखा है। लिखते रहिये। शुभकामनायें।

Kavita ने कहा…

thanks Mr Sharma