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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 9 जुलाई 2015

अनजाने ---पहचाने



कभी यूँ नहीं लगता मिल कर किसी से -?
कि जानते हैं हम आपको न जाने कितने बरसों से
कुछ अनजान अनचीन्हे से चेहरे कभी बन जाते हैं
कितने अपने --किस तरह से ?
झूठ हो जाते हैं हर फलसफे
जात, धर्म, रंग ,भेष, भाषा ,देश और प्रदेश के
मिल जाते हैं दिल, तो आड़े आते नहीं झगडे
बोली, जुबां और किसी मतभेद के ;
कितना अच्छा सा लगता है जब मिल जाते हैं
चंद जिंदा दिल इक जगह
खिल जाती है, महक जाती है मानो
बगिया गुलो गुलिस्तान की तरह
मिल के महक जाता है मन- छोड़ दुनिया के तंज़
चलो बनाएं इक तहजीब होलीकी तरह
जहाँ न हो कोई गम
और घुल जाएँ सभी रंग बारिशों में
खुशियों की धुप में छा जाए एक इंद्र धनुष

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