अश्क आँखों से बहा कर दुपट्टे में सुखाया होगा
वक़्त कि चादर में लपेटे हुए वो एहसास
सूखी हुई वो स्याही दुपट्टे कि वो नमी
मचल के बाहर आने को यूं बेताब क्यूँ है
तेरा नाम
हजारों बार
हाथों पे लिख -लिख के मिटाया होगा
अश्क आँखों से
बहा कर दुपट्टे में सुखाया होगा
वक़्त की चादर में
लपेटे हुए वो एहसास
सूखी हुई वो सियाही
दुपट्टे की वो नमी
मचल के बाहर आने को
यूं बेताब क्यूँ है ?
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