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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 16 जुलाई 2015

–बस चले आना !

तुम चल दिए मुंह मोड़ कर
इक अनकहे से सफर पे दूर कहीं
जाते हो पर नही जाते दूर कहीं
इक मुकाम तुम्हारा है
 इस दिल में इन आँखों में-
जब चाहो चले आना
घर तुम्हारा है चले आना बेहिस
बे झिझक बे तकल्लुफ –
–बस चले आना !

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