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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 12 जुलाई 2015

उमस

कुछ सुबहों कि शाम नहीं होती
सिर्फ इंतज़ार होता है
लम्हों में बीतते जाते हैं साल
 बरसों में बरसती शामें
 गीली गीली सी आँखें
 भीगा भीगा सा मन
बारिश कि फुहारें हैं
बरसती कहाँ हैं
उमस सी है मन में
आंखों पे छाई कोई बदली सी है

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