तकलीफ होती है मगर
तोड़ लेना ही बेहतर है
ऐसे रिश्तों को जो आभासी हों
ज़मीन का भ्रम दिलाते हों और
गहरे कुएं के मानिंद
दफ़न कर सकते हों
इंतज़ार क्यूँ करें धोखा खाने का
जब आँख खुल जाए
सबेरा समझो
होता है दर्द पर
रास्ते अपने फरक कर लो
जो रिश्तों को समझते हैं वो उनकी कद्र करते हैं
सरे महफ़िल करे रुसवा वो कैसे दोस्त होते हैं।
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