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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 20 सितंबर 2020

आभासी

तकलीफ होती है मगर 
तोड़ लेना ही बेहतर है 
ऐसे रिश्तों को  जो आभासी हों 
ज़मीन का भ्रम दिलाते हों और 
 गहरे कुएं  के मानिंद 
दफ़न कर सकते हों 
इंतज़ार क्यूँ करें धोखा खाने का 
जब आँख खुल जाए 
सबेरा समझो 
 होता है दर्द पर
 रास्ते अपने फरक कर लो

जो रिश्तों को समझते हैं वो उनकी कद्र करते हैं
सरे महफ़िल करे रुसवा वो कैसे दोस्त होते हैं।

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