तुझको महसूस किया है अंदर तक
एक शाम जो तेरे साथ गुजारी मैने
एक चाय की प्याली जो साथ तेरे पीनी थी
तेरी यादों के साये तले पी है मैंने
एक हूक जो कलेजे में समाई सी हुई है
एक उदासी जो इस शाम की बायस है
एक खलिश जो कहीं भीतर है
एक कुंवा जो खाली भी है छलकता भी
एक बूंद जो बारिश भी है और ओझल भी
एक आग जो बुझती ही नही पानी से
आज उस आग को पी जाने की क़ोशिश की है
फिर एक शाम तेरे साथ गुजारी है मैंने।
4 टिप्पणियां:
Bhavbheeni...
धन्यवाद ।कोई नाम नही है
Bua aap bahut yaad aati hain.
Kindly write down the name .so that I may recognize or send the link.
Thanks for appreciation
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