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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

एकाकी

एकाकी
           फिसलती जाती है ज़िन्दगी यूँ हाथों से
             मानो समय नहीं-- रेत हो मेरे हाथों में   कण- कण, पल- पल, अलग- अलग;
 छितराया सा .
ढूँढती हूँ इनमें खुद को ;पाऊँ कहाँ
             -----      मैं जाऊं कहाँ -?
खो रही हूँ मैं ---कतरा कतरा
रीतते पल, छीजती जाती है ज़िन्दगी -!
                                                                        

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