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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

हदें और सरहदें
हम ही बनाते हैं
जब भी कहते हैं
कि हद हो गई
सीमाओं को ..
..और बढ़ा देते हैं।

सरहदों पे चलती गोलियां
सीना बच्चों का
चाक करती हैं
जब भी कहते हैं कि
अब सहना नही है..
बर्दाश्त और बढ़ा लेते हैं।

ये हदें जब तक रहेंगी
सरहदें जब तक रहेंगी
आदमी मरता रहेगा ।
और हदें जीती रहेंगी।

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