हदें और सरहदें
हम ही बनाते हैं
जब भी कहते हैं
कि हद हो गई
सीमाओं को ..
..और बढ़ा देते हैं।
सरहदों पे चलती गोलियां
सीना बच्चों का
चाक करती हैं
जब भी कहते हैं कि
अब सहना नही है..
बर्दाश्त और बढ़ा लेते हैं।
ये हदें जब तक रहेंगी
सरहदें जब तक रहेंगी
आदमी मरता रहेगा ।
और हदें जीती रहेंगी।
हम ही बनाते हैं
जब भी कहते हैं
कि हद हो गई
सीमाओं को ..
..और बढ़ा देते हैं।
सरहदों पे चलती गोलियां
सीना बच्चों का
चाक करती हैं
जब भी कहते हैं कि
अब सहना नही है..
बर्दाश्त और बढ़ा लेते हैं।
ये हदें जब तक रहेंगी
सरहदें जब तक रहेंगी
आदमी मरता रहेगा ।
और हदें जीती रहेंगी।
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