Featured post

यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

स्नेह विवेचना

कितने कान्हा कितनी राधा
       जुग जुग से जीवन ये आधा
        कहीं उजाला कहीं अंधेरा
         चलता यूँ जीवन का फेरा
 मोहन की नटखट लीला ने
बदल दिया राधा का जीवन
जीवन भर बस होम हो गई
बन गोकुल के यज्ञ का तर्पण

           कृष्ण कन्हैया रास रचैया
            मुरली त्याग हुए योगेश्वर
           जीवन की उलझी राहों पर
           पेचीदा राजनीति के चक्कर
 मुरली फिर न बजी जीवन मे
 फिर भी बसी रही वो मन में
 सम्भव है क्या इस जग मेंअब
कृष्ण और राधारानी का स्नेह विवेचन

कोई टिप्पणी नहीं: