कितने कान्हा कितनी राधा
जुग जुग से जीवन ये आधा
कहीं उजाला कहीं अंधेरा
चलता यूँ जीवन का फेरा
मोहन की नटखट लीला ने
बदल दिया राधा का जीवन
जीवन भर बस होम हो गई
बन गोकुल के यज्ञ का तर्पण
कृष्ण कन्हैया रास रचैया
मुरली त्याग हुए योगेश्वर
जीवन की उलझी राहों पर
पेचीदा राजनीति के चक्कर
मुरली फिर न बजी जीवन मे
फिर भी बसी रही वो मन में
सम्भव है क्या इस जग मेंअब
कृष्ण और राधारानी का स्नेह विवेचन
जुग जुग से जीवन ये आधा
कहीं उजाला कहीं अंधेरा
चलता यूँ जीवन का फेरा
मोहन की नटखट लीला ने
बदल दिया राधा का जीवन
जीवन भर बस होम हो गई
बन गोकुल के यज्ञ का तर्पण
मुरली त्याग हुए योगेश्वर
जीवन की उलझी राहों पर
पेचीदा राजनीति के चक्कर
मुरली फिर न बजी जीवन मे
फिर भी बसी रही वो मन में
सम्भव है क्या इस जग मेंअब
कृष्ण और राधारानी का स्नेह विवेचन

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