एकाकी
फिसलती जाती है ज़िन्दगी यूँ हाथों से
मानो समय नहीं-- रेत हो मेरे हाथों में कण- कण, पल- पल, अलग- अलग;
छितराया सा .
ढूँढती हूँ इनमें खुद को ;पाऊँ कहाँ
----- मैं जाऊं कहाँ -?
खो रही हूँ मैं ---कतरा कतरा
रीतते पल, छीजती जाती है ज़िन्दगी -!
फिसलती जाती है ज़िन्दगी यूँ हाथों से
मानो समय नहीं-- रेत हो मेरे हाथों में कण- कण, पल- पल, अलग- अलग;
छितराया सा .
ढूँढती हूँ इनमें खुद को ;पाऊँ कहाँ
----- मैं जाऊं कहाँ -?
खो रही हूँ मैं ---कतरा कतरा
रीतते पल, छीजती जाती है ज़िन्दगी -!



