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यादों की चिड़िया

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रविवार, 31 मार्च 2019

बाली उमर मधुर /कटु संजोग



मृदु जीवन और कटु सच्चाई
बाली उमर की वो अंगड़ाई
खुलती आंखें दिखता यौवन
और जीवन की नित नई उलझन

सपनो का आकाश यहीं है
नई प्रीत के गीत यहीं हैं
यहीं भविष्य के सुंदर सपने
पर बन्धन अनगिनत हैं कितने

सबकी अभिलाषाओं के बंधन
कुछ अपने मन नीड का सृजन
अनचीन्ही अनसुलझी उलझन
कभी खुशी कहीं क्रोध का क्रंदन

विचलित उमर विद्रोही मन है
ऐसे में घनघोर  बिछलन है
मर्यादा ,संस्कार की शिक्षा
भाती मन को संग साथ की इच्छा

कभी बड़े कभी बचपन के  ताने
भ्रमित है ये मन खुद को क्या जाने
मधुर  प्रेम जिसने जतलाया
आक्रोशित मन ने उसमें  सुख पाया

बहुत कठिन जीवन के ये पल हैं
सहज सहारा स्नेह का बल है
ऐसी उमर के पुष्पित होने  को
धीरज धैर्य ,अनुशासन सम्बल हैं।

कटु अनुभव से इन्हें बचाएं
कहीं न स्नेह पुष्प कुम्हलायें
स्नेह घटक घर मे ही छलके
चाहे लड़की हों या लड़के

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