आभासी है ये कालचक्र
जुड़ी हुई है कहीं और नियति
धागे से कठपुतली के
हैं छद्मवेश ,हैं छद्मनाम
कहीं और नियति कहीं और धाम
है एक पड़ाव जीवन का सफर
फिर और कहीं ,राहें तमाम
हम एक मुसाफिर मंजिलके
तय करता एक नियंता है
रोने गाने से क्या हासिल
वो जीवन का अभियंता है
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