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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 24 मार्च 2019

घर पुराना..

घर कितना कुछ देखते हैं..
पीढ़ियां बदलते,
सुख दुःख के ज्वार- भाटे,
चढ़ती बरातें ,उठते जनाजे,
बजती शहनाई ,सूने चौबारे,
बदलती शकलें,उलझती राहें,
सरकती गांठें,सिमटते रिश्ते
घर कितना कुछ देखते हैं 
और साथ हम भी....!!

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