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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 14 मार्च 2019


एक छतरी उड़ गई
भीगते ठिठुरते रह गए
तीन बच्चे
डाल घेरे बाँह के; राह में
अकेले ,निर्जन से पथ में
एक शहर एक गांव
जो जाना सा था
तेरी नज़र के दायरों से,
अचानक ही
कितना अचीन्हा रह गया,
ओ निठुर!!


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