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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

बुधवार, 26 अगस्त 2015

तेरी चूनर


इक बंद तिज़ोरी सपनो की
जैसे गलती से है खुल बैठी,दो चार यहाँ ,दो चार वहाँ
 हर कोने से ,हर नुक्कड़ से

कुछ लुके छिपे कुछ भूले से
कुछ आंसू में धुंधलाये से,कुछ बोझिल तेरी यादों से
कुछ हैं मुस्काते यादों में
कुछ बांह पसारे आये हैंll

कैसे इनको अब  बाँध के मैं
पिंजरे में फिर से  बंद करूँ,घुट  जाएँ इनकी सांसें तो
क्या हमखुश भी रह पाएंगे?

चुन चुन कर अबइन यादों को
 इन सपनो को,उन वादों को
 इक 
चूनर सी सिलवाई है
अब
 डाल के इसको चेहरे पर
  नकी छाया में चलते हैं

 क्या हुआ अगर ये मिल न सके
 क्या हुआ अगर वो मिल न सके ll

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