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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

बुधवार, 2 सितंबर 2015

इक साँझ कुछ कुछ उदास सी

इक साँझ कुछ कुछ उदास सी  बस तेरे अहसास सी

तसव्वुर तेरा मेरे ख्यालों का खामोश कारवाँ ही सही
कोई मंज़िल न सही इक गुमनाम सफर ही सही

माना की हकीकतें सपमो से जुदा होती हैं
ये किसने कहा है की सपने नींद की उम्र से जी ते हैं

दूरियां दूरियों के पैमाने नहीं होती
पलकें बंद करते ही सिमट जाती हैं -ख्वाबों में

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