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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

बुधवार, 19 अगस्त 2015

प्यार की इंतिहा

बैठेहो कभी घंटों किसी तस्वीर के आगे
     अनवरत बिना कुछ बोले
बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे
बस देखतेउन आँखों की गहराइयों में
अकेले उसके साथ होने का अहसास
      कुछ अलगसी दुनिया
    कुछ पाने का अरमान नहीं
    कुछ खोने का भय नहीं
     सिर्फ एक सिहरन सी
       सिर्फ एक छुअन सी
 मानो लहर कोई समंदर की भिगो गयी हो धीरे से
       और भीगी ठंडी रेत से उठती
     तपन को समो लेने का एहसास 
 आँखें मूँद के उस पल उस चाहत को
        पीने का अहसास
         नही किया न--?
      तो कैसे समझ पाओगे
मेरी मोहब्बत को, मीरा कीपूजा को,
       राधा के प्रेम को
   दीवानगी है ये प्रेम नही है 
  कहोगे तुमजानती हूँ मैं
 मगर प्यार की इंतिहा ही तो है दीवाना पन

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