बैठेहो कभी घंटों किसी तस्वीर के आगे
अनवरत बिना कुछ बोले
बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे
बस देखतेउन आँखों की गहराइयों में
अनवरत बिना कुछ बोले
बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे
बस देखतेउन आँखों की गहराइयों में
अकेले उसके साथ होने का अहसास
कुछ अलगसी दुनिया
कुछ पाने का अरमान नहीं
कुछ खोने का भय नहीं
सिर्फ एक सिहरन सी
सिर्फ एक छुअन सी
मानो लहर कोई समंदर की भिगो गयी हो धीरे से
और भीगी ठंडी रेत से उठती
तपन को समो लेने का एहसास
आँखें मूँद के उस पल उस चाहत को
कुछ अलगसी दुनिया
कुछ पाने का अरमान नहीं
कुछ खोने का भय नहीं
सिर्फ एक सिहरन सी
सिर्फ एक छुअन सी
मानो लहर कोई समंदर की भिगो गयी हो धीरे से
और भीगी ठंडी रेत से उठती
तपन को समो लेने का एहसास
आँखें मूँद के उस पल उस चाहत को
पीने का अहसास
नही किया न--?
तो कैसे समझ पाओगे
मेरी मोहब्बत को, मीरा कीपूजा को,
नही किया न--?
तो कैसे समझ पाओगे
मेरी मोहब्बत को, मीरा कीपूजा को,
राधा के प्रेम को
दीवानगी है ये प्रेम नही है
दीवानगी है ये प्रेम नही है
कहोगे तुमजानती हूँ मैं
मगर प्यार की इंतिहा ही तो है दीवाना पन
मगर प्यार की इंतिहा ही तो है दीवाना पन
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