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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शुक्रवार, 1 जनवरी 2016

नव विहान

एक नए गीत का कल नव विहान हो
बीतते पलों का भी कुछ अंश दान हो
हर बीत जाता पल यूँ ही व्यर्थ जाता नही
कुछ दे ही जाता हैहमें सहेजना आता नहीं

जाने वाला वक़्त देता है हमें अनुभव कई
अच्छी बुरी जैसी भी हों छुपी हुई सीखें नयी

कल उपजता है हमेशा आज की ही कोख से
संवारना हो कल तो लम्हों को चुरा लो आज से

कल की हंसी तो आज की सीखों पे टिकी है
मेहनत जो तेरी आज  वही खुशियों की जमीं है
सबक जो कड़वे तुमको आज मिले हैं
याद रखना उनको तुम्हें भूलना नहीं है

नव वर्ष में खुशियाँ ही होंगी ऐसा नहीं है
पर थक के बैठ जाओ कभी ऐसा भी नहीं है
हर कदम तुम्हारा जब भी उठे अनुभव पे टिका हो
जो जाने वाले साल ने कल तुमको दिया हो

नव वर्ष नव विहान आप सब को मंगलमय हो

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