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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 14 जनवरी 2016

शिकवे


तजर्बे तो उम्र भर कम नही होते
ज़िंदगी कब पुर सुकून होती है
नुक्सो हिदायत के तंज़ अपनों के है
बाहिर तो इक मुकम्मल तस्वीर मिलती है

*तजर्बे। experiments

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