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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शनिवार, 20 जून 2020

पीछे छूटती अम्माँ

बाप और बेटे के बीच मे ठहरी
बफर सोल्यूशन सी अम्मा 
रस्साकशी में पिता पुत्र की
 फ़सरी में बस खींची जाती अम्माँ

बाप की गलियों और लाठियों से
बेटे के सामने पड़ बचाती अम्माँ
बेटे की फरमाइशों और ख्वाहिशों को
ऊपर तक पहुंचा बस झिड़की खाती अम्माँ
तब भी शायद बेटे को मिसरी सी लगती अम्माँ

...बस एक उम्र तक ,
उसके बाद.....

हर गलत फैसले बीते दिनों के ,
की ज़िम्मेदार ठहराई जाती अम्माँ
बाप भी खुश और बेटा खुश 
बस फूंक में उड़ाई जाती अम्माँ

अब बेटे की नज़रों में  शिकायत सी चमकाई जाती अम्माँ
हर झगड़े में कुटिल चाणक्य सी दिखलाई  जाती अम्माँ

घर में रही और  घर से ही बन्ध कर रह गयी जो अम्माँ
बेटे को बदलते और पिता सा ढलते देखती रह गयी अम्माँ।।

3 टिप्‍पणियां:

Santwana mishra ने कहा…

खूबसूरत रचना

Kavita ने कहा…

शुक्रिया 😊

Kavita ने कहा…

शुक्रिया 😊