बाप और बेटे के बीच मे ठहरी
बफर सोल्यूशन सी अम्मा
रस्साकशी में पिता पुत्र की
फ़सरी में बस खींची जाती अम्माँ
बाप की गलियों और लाठियों से
बेटे के सामने पड़ बचाती अम्माँ
बेटे की फरमाइशों और ख्वाहिशों को
ऊपर तक पहुंचा बस झिड़की खाती अम्माँ
तब भी शायद बेटे को मिसरी सी लगती अम्माँ
...बस एक उम्र तक ,
हर गलत फैसले बीते दिनों के ,
की ज़िम्मेदार ठहराई जाती अम्माँ
बाप भी खुश और बेटा खुश
बस फूंक में उड़ाई जाती अम्माँ
अब बेटे की नज़रों में शिकायत सी चमकाई जाती अम्माँ
हर झगड़े में कुटिल चाणक्य सी दिखलाई जाती अम्माँ
घर में रही और घर से ही बन्ध कर रह गयी जो अम्माँ
बेटे को बदलते और पिता सा ढलते देखती रह गयी अम्माँ।।
3 टिप्पणियां:
खूबसूरत रचना
शुक्रिया 😊
शुक्रिया 😊
एक टिप्पणी भेजें