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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 7 जून 2020

विचलित

मुझे लगता है कि मैं अमरबेल हूँ;
जी जाऊंगी
कोई साथ रहे ना रहे
 
हर रिश्ते से भाग आती हूँ मैं ,
गांठ खोल कर,
कर लुंगी पूरा ये सफर 
कोई साथ चले ना चले

किसी रिश्ते को जकड़ने को 
लगाती नही पूरी ताकत
कोई छोड़े मुझे  उससे पहले 
छोड़ आती हूँ मैं हर रिश्ता खुद से
निबाह लुंगी मै खुद से
कोई जुड़े मुझसे, न जुड़े।


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