Featured post

यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 29 नवंबर 2020

सीलन से भरी छतें और तारों से टँका आसमान खो गया है --

अब झूठी हैं छतें(फाल्स सीलिंग) और आसमान दिखता ही नही
कल्पना के रंग भर सकें जिनसे बच्चों के हाथ मे अब वो कूंची ही नही
छतों की सीलन और बादलों में बीने जाते ,ढूंढे जाते वो किरदार 
रेखाओं में ढलते ,अल्फाजों में उकेरे जाते वो आकार
अनायास ही ओझल हो गए हैं आंखों से बचपन की 
वीडियो गेम्स और एक्स बॉक्स पर जमी आंखों में बरसती खून की लाली और कर्णभेदी आवाज़ें
चीखोपुकार  बंदूकों और बमों की धमाकों की 
मर जाता है जब कोई इंसान उसमे बड़ी शांति से 
एक बच्चा ठठा कर हंस पड़ता है ।
और मेरे मन के अंदर बौछारें करुणा की भिगो जाती हैं मन मेरा 
सीलन और उमस के इस तेजाबी असर से 

मेरे अंतर्तम की छत छीज जाती हैऔर उस अक्स में फिर कोई बंदूक नज़र आती है।

कोई टिप्पणी नहीं: