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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 1 नवंबर 2020

ईमान

गैरों ने कुछ गलत किया इसका हिसाब है
हमने घर कितने उजाड़े इसकी खबर नही

नज़र उनकी उंगलियों पे  है जो उठती अपनी तरफ 
दाग उनके लहू का था जिसपे उस खंजर की खबर नही 

चैनो अमन  की तरबियत होती हो जिस जहान में
वो जहाँ किस फलक पे है इसकी मुझको खबर नही।

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