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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

बुधवार, 9 दिसंबर 2020

अर्ज़ किया है

आदतें उतनी बिगाड़ो के सम्हल जाएं
यूँ न हो कि सम्हलने में दम निकल जाए

हर फिरका अपनी रवायतों पे चलता है
ख़ौफ़ज़दा गर तंज से हो तो ये हक़ है उनका

शौके जुनूं जो रखते हो दुनिया से अलग चलने का
न फिक्र रवायतों की करो न नज़र से गिरने की


हमसफ़र हो और नज़रे इनायत उसकी
उम्र को चाहिए क्या और गुजर जाने के लिए

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