जीवन क्या है -
एक भावप्रवण बहती सरिता।
इक उद्गम , इक उन्मूलन है।
बीच मे बहता हास्य इधर,
उस छोर बह रहा क्रंदन है।
जब भी तुम झांकी पाओगे ,
शाश्वत मृत्यु को जीवन का
संचालन करता पाओगे।
इस प्रखर, प्रकट ,
ध्रुव सत्य शिखर पर
दो अश्रु विसर्जन कर धीर धरो,
ये कृष्ण वचन है
अर्जुन तुम
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