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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 2 जुलाई 2020

जीवन

जीवन क्या है -
एक भावप्रवण बहती सरिता।
इक उद्गम , इक उन्मूलन है।
बीच मे बहता हास्य इधर,
 उस छोर बह रहा क्रंदन है।
उन्मीलित सृष्टि के नयनों की
जब भी तुम झांकी पाओगे ,
शाश्वत मृत्यु को जीवन का 
संचालन करता पाओगे।
इस प्रखर, प्रकट ,
ध्रुव सत्य शिखर पर 
दो अश्रु विसर्जन  कर धीर धरो,
ये कृष्ण वचन है 
अर्जुन तुम 
अब जीवकर्म गांडीव गहो।।

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