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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 29 नवंबर 2020

सीलन से भरी छतें और तारों से टँका आसमान खो गया है --

अब झूठी हैं छतें(फाल्स सीलिंग) और आसमान दिखता ही नही
कल्पना के रंग भर सकें जिनसे बच्चों के हाथ मे अब वो कूंची ही नही
छतों की सीलन और बादलों में बीने जाते ,ढूंढे जाते वो किरदार 
रेखाओं में ढलते ,अल्फाजों में उकेरे जाते वो आकार
अनायास ही ओझल हो गए हैं आंखों से बचपन की 
वीडियो गेम्स और एक्स बॉक्स पर जमी आंखों में बरसती खून की लाली और कर्णभेदी आवाज़ें
चीखोपुकार  बंदूकों और बमों की धमाकों की 
मर जाता है जब कोई इंसान उसमे बड़ी शांति से 
एक बच्चा ठठा कर हंस पड़ता है ।
और मेरे मन के अंदर बौछारें करुणा की भिगो जाती हैं मन मेरा 
सीलन और उमस के इस तेजाबी असर से 

मेरे अंतर्तम की छत छीज जाती हैऔर उस अक्स में फिर कोई बंदूक नज़र आती है।

गुरुवार, 5 नवंबर 2020

अनुत्तरित प्रश्न

जो सवाल बहुत करते हैं न
अक्सर उनके पास कोई जवाब नही होते
प्रश्न उठा कर 
अनुत्तरित छोड़ देना ही उनकी कला होती है
पता नही
जान कर या अनजान में?
पता नही ;
खुद परेशान हैं ,
खुद में परेशान हैं ,
खुद से परेशान हैं ,
या औरों को परेशान करना 
उनकी आदत में शुमार है !
वैसे; शांत पानी मे 
कंकड़ी डाल कर ,
हिलोरें उठा कर 
बेचैन लहरों को देखना 
मुझे भी पसन्द है ।

रविवार, 1 नवंबर 2020

ईमान

गैरों ने कुछ गलत किया इसका हिसाब है
हमने घर कितने उजाड़े इसकी खबर नही

नज़र उनकी उंगलियों पे  है जो उठती अपनी तरफ 
दाग उनके लहू का था जिसपे उस खंजर की खबर नही 

चैनो अमन  की तरबियत होती हो जिस जहान में
वो जहाँ किस फलक पे है इसकी मुझको खबर नही।