Featured post

यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

रविवार, 11 अक्टूबर 2020

इन्हें क्यों..?

किसी ने लिखा
"मत जन्म लेने दो इन्हें(लड़की को),इन्हें कोख में ही मर जाने दो"
मेरा सवाल --
इन्हें क्यूँ ,उन्हें क्यों नही?     
                  
 जी अगर वो सकती नही तुम्हारी वजह से
  तो मरने की ज़रूरत किसे है ?
  सीता पर जुल्म करता है रावण तो 
  खत्म किये जाने की जरूरत किसे है?
उसका जीना मरना आप ही 
तय करते आये हैं अब तक,
उस पर जुल्मो सितम आप ही 
करते आये हैं अब तक ,
अब गर्ज़ ये है कि तय वो करे कि ऐसी
औलादों की जरूरत  किसे है   ?

बेटियों को  गर्त किया अंधेरों में 
बेटियों को जब्त करने की सीखें दीं
 बेटियों को तालीम देने से हमेशा
 करते रहे गुरेज़ 
  बेटियों को सभी धर्म 
 सिर्फ पाबंदी सिखाते रहे
  कोई लूट जाए तो जीना मत
  मर जाना ;
  सिर्फ इज़्ज़त को ज़ेवर बताते रहे  ।
  
   कभी किसी मज़हब ने 
   पापी को मारने की तालीम नही दी
   क्या करना है क्या नही 
   ये कभी उस पर नही छोड़ा।
   जानते हैं क्यों?
   क्योंकि धर्म बनाने वाला भी  आदम है
    और जुल्म ढाने वाला  भी वही
    माफ करिये -
    अब इन नसीहतों के दौर का रुख मोड़िये
    किसको जीना है किसको मरना
     ये अब हम पे छोड़िए 
     मर्द के नसीब का फैसला हमारे हाथ है
     जिस दिन इनकार किया औरत ने 
     जन्म देने से उसे 
     क्या होगी उसकी हैसियत
     अब सिर्फ ये सोचिए।।

कोई टिप्पणी नहीं: