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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020

बोनसाई

लड़कियां ऐसी ही जन्म लेती हैं ;
खिलती ,खेलती ,
किसी जंगली बेल सी बढ़ती बेपरवाह !!

पर उन्हें तराशा जाता है ,
उनके सपनों  के कंछों को
 कतर के ,
कभी उनकी जड़ो को तारों से जकड़ कर ,
बोन्साई बना देने के लिए ।

कभी नपा-तुला भोजन ,
कभी इंच -दो इंच मुस्कुराहट ,
पनपती गाछ को 
बेदर्दी से उखाड़ दिया जा कर।

 उसे सजना सिखाया जाता है ,
दूसरों के लिए
खूबसूरत शीशों में घेर कर ।
भविष्य में 
किसी आलीशान बंगले के खूबसूरत बैठके की 
शोभा बन सके ,
नक्काशीदार मेज पे सजे किसी गुलदान में।
छीन कर उसकी स्वच्छन्दता,उन्मुक्तता 
बँधने को किसी बन्धन में 
तराशा जाता है उसे।।
                               चेतना

रविवार, 11 अक्टूबर 2020

इन्हें क्यों..?

किसी ने लिखा
"मत जन्म लेने दो इन्हें(लड़की को),इन्हें कोख में ही मर जाने दो"
मेरा सवाल --
इन्हें क्यूँ ,उन्हें क्यों नही?     
                  
 जी अगर वो सकती नही तुम्हारी वजह से
  तो मरने की ज़रूरत किसे है ?
  सीता पर जुल्म करता है रावण तो 
  खत्म किये जाने की जरूरत किसे है?
उसका जीना मरना आप ही 
तय करते आये हैं अब तक,
उस पर जुल्मो सितम आप ही 
करते आये हैं अब तक ,
अब गर्ज़ ये है कि तय वो करे कि ऐसी
औलादों की जरूरत  किसे है   ?

बेटियों को  गर्त किया अंधेरों में 
बेटियों को जब्त करने की सीखें दीं
 बेटियों को तालीम देने से हमेशा
 करते रहे गुरेज़ 
  बेटियों को सभी धर्म 
 सिर्फ पाबंदी सिखाते रहे
  कोई लूट जाए तो जीना मत
  मर जाना ;
  सिर्फ इज़्ज़त को ज़ेवर बताते रहे  ।
  
   कभी किसी मज़हब ने 
   पापी को मारने की तालीम नही दी
   क्या करना है क्या नही 
   ये कभी उस पर नही छोड़ा।
   जानते हैं क्यों?
   क्योंकि धर्म बनाने वाला भी  आदम है
    और जुल्म ढाने वाला  भी वही
    माफ करिये -
    अब इन नसीहतों के दौर का रुख मोड़िये
    किसको जीना है किसको मरना
     ये अब हम पे छोड़िए 
     मर्द के नसीब का फैसला हमारे हाथ है
     जिस दिन इनकार किया औरत ने 
     जन्म देने से उसे 
     क्या होगी उसकी हैसियत
     अब सिर्फ ये सोचिए।।

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

मेरे गांधी


वक़्त ने जिनको पथप्रदर्शक बनाया
एक कठिन समय मे जिसने सबको रास्ता सुझाया
कुछ तो हट कर हमसे तुमसे उसमे बात होगी
जिसने पूरे विश्व को उसका बनाया

दोस्तों की बात छोड़ो दुश्मनों को भी कभी
उसने 
अपनी खूबी से मुरीद अपना बनाया
जिसमे इतनी ताकत हो वक़्त उसको मिटा सकता नही
कमियां जो देखना चाहते है कसूर ये उनका नही

ये फितरत आदमी की है कि वो रश्क करता है
जहां वो जा न पाए खुद उसको मटियामेट करता है
मोड़ दो या मिटा डालो युद्ध की यही तकनीक है
शांति के दर्शन को वो कब अंगीकार करता है

दूसरों पर तंज कसना ,उँगली उठाना आसान है
खुद को उसके चोले में बिठा पाए ऐसा कौन इंसान है
माना उसके फैसलों में कुछ कमी होगी जरूर
पर मैने कब कहा है  वो इंसान नही भगवान है।

जिनका उसने हाथ थामा वो ही पत्थर मारते हैं 
गन्दगी अपनी सोच की धवल वस्त्र पर उछालते हैं
थूकने से सूर्य पर वो उज्ज्वल स्मित मद्धम पड़ती नही
गिरते हो स्वयम पंक में छवि उसकी धूमिल होती नही।
सादर नमन