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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शनिवार, 1 जनवरी 2022

विश यू आ वेरी हैप्पी न्यू ईयर


एक चलन ही तो है वरना बदलता क्या है ?
समय के आकाश से झरते हैं लम्हे 
कुछ खुशियां कुछ नगमे कुछ आँसू
.. ठहरता क्या है?

कुछ ठहरे हुए लम्हे करवटें लेकर फिर  सो जाते हैं 
कुछ सहमे हुए रिश्ते थरथराते हैं और थम जाते हैं 
लगता है कि जीने की कवायद में खोता सा वुज़ूद
दो दिन को मचलता है
 ...फिर भी साँसों में  दरकता क्या है?
 
होश खो कर  सपनो में जिये जाते हैं
आज को भूल कर खुद को दिलासे दिए जाते हैं 
वक़्त की कोख से उपजती है वक़्त की ही फसल
बीज खुशियों के बिखरते तो उपजती हंसी 
नफरतों की हो बुवाई
........तो  बदलता क्या है ??

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