सोई व्यथा सी जग उठी,
कोई बदली;
नीर बन कर बह चली, बिन तुम्हारे ;
जगती आँखें ,राह तक तक थक चलीं ,
सोती आँखें ,ख्वाबकुछ चुनती रहीं,
............. बिन तुम्हारे !
नयन खोये या के सोये ,
रात सोये,स्वप्न जागे
प्रीत का हर गीत जागे,
हर सहर ,हर साँझ जागे ,
साथ मेरे, बिन तुम्हारे...
...............बिन तुम्हारे!
कोई बदली;
नीर बन कर बह चली, बिन तुम्हारे ;
जगती आँखें ,राह तक तक थक चलीं ,
सोती आँखें ,ख्वाबकुछ चुनती रहीं,
............. बिन तुम्हारे !
नयन खोये या के सोये ,
रात सोये,स्वप्न जागे
प्रीत का हर गीत जागे,
हर सहर ,हर साँझ जागे ,
साथ मेरे, बिन तुम्हारे...
...............बिन तुम्हारे!

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