एक टूटे रिश्ते का छोर पकड़ने की कोशिश
और अँधेरे में हाथ पाँव मारते लोग
एक अँधेरी सुरंग से गुजरते जाने का अहसास
जिसका कोई छोर है भी की नहीं
अनंत है ये अँधेरा
महसूस होता है कभी
पर सुबह तो होगी कभी
रौशनी हंसेगी सुरंग के उस छोर पर
जहां कोई तो होगा
हाथ थामे हुए एक नए सपने का
नयी उम्मीदों के साथ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें