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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

मंगलवार, 29 दिसंबर 2015

धूप-इक ख़याल सी

धूप इक ख़याल सी
किसी नाज़ुक एहसास सी
कि आँख खोलने से भी
डर जाती हो
नींद वो बेख़याल सी
नाज़ुक एक उम्र
खो गयी जो
आँख खुलने से पहले
ज्यूँ बदलियों ने ढक लिया हो
धूप का कतरा कोई
बेहिस ज़िन्दगी की दौड़ में
बस एक कतरा वही उम्र का
ज़िंदा रह गया

रविवार, 27 दिसंबर 2015

उम्मीद

एक टूटे रिश्ते का छोर पकड़ने की कोशिश
और अँधेरे में हाथ पाँव मारते लोग
एक अँधेरी सुरंग से गुजरते जाने का अहसास
जिसका कोई छोर है भी की नहीं
अनंत है ये अँधेरा
महसूस होता है कभी
पर सुबह तो होगी कभी
रौशनी हंसेगी सुरंग के उस छोर पर
जहां कोई तो होगा
हाथ थामे हुए एक नए सपने का
नयी उम्मीदों के साथ

रविवार, 20 दिसंबर 2015

बिन तुम्हारे

सोई व्यथा सी जग उठी,
कोई बदली नीर बन कर बह चली,
बिन तुम्हारे ;
जगती आँखें 
राह तक तक थक चलीं ,
सोती आँखें ,ख्वाबकुछ चुनती रहीं,
बिन तुम्हारे ;
नयन खोये या के सोये
रात सोये,स्वप्न जागे 
 प्रीत का हर गीत जागे,
हर सहर ,हर साँझ जागे ,साथ मेरे,
बिन तुम्हारे ;
इक पथिक ,इक राह सूनी
कल्पना भी रच ना पाई,भावभीनी
प्रणय गीतों से सजी,
रजनी सुहानी,
बिन तुम्हारे ;
बांसुरी की तान 
बसती हो जहां ,
कोई सांस ,
अंदर उनीदी सी जगी हो,
याद कुछ आता नही,
इक बोल कोई,
प्रेम जिस के कण कण में बसा हो,
बिन तुम्हारे ;
व्यर्थ सी इक कल्पना है,
रंग जिसमें भर सकी ना 
कोई भी कूची
रसहीन जीवन ,बेताल सांसें,
चल रही हैं और यूँ चल रहा है जीवन,
बिन तुम्हारे,बिन तुम्हारे ll,