अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही कभी कभी, झांकते हुए से कभी इस पल्ले से ...
मंगलवार, 30 जून 2015
हसरतें
छुआ नही तुझे कभी पर छूने को दिल करता है गले कभी लग के तेरे रोने को दिल करता है भूल जाना बातें मेरी यूं ही सुन के तू आज क्या कहूँ कि आजकल हर बात पे कभी हंसने तो कभी रोने को दिल करता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें