हसरतें
छुआ नही तुझे कभी पर छूने को दिल करता है
गले कभी लग के तेरे रोने को दिल करता है
भूल जाना बातें मेरी यूं ही सुन के तू आज
क्या कहूँ कि आजकल हर बात पे
कभी हंसने तो कभी रोने को दिल करता है
अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही कभी कभी, झांकते हुए से कभी इस पल्ले से ...