आदतें उतनी बिगाड़ो के सम्हल जाएं
यूँ न हो कि सम्हलने में दम निकल जाए
हर फिरका अपनी रवायतों पे चलता है
ख़ौफ़ज़दा गर तंज से हो तो ये हक़ है उनका
शौके जुनूं जो रखते हो दुनिया से अलग चलने का
न फिक्र रवायतों की करो न नज़र से गिरने की
हमसफ़र हो और नज़रे इनायत उसकी
उम्र को चाहिए क्या और गुजर जाने के लिए