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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शनिवार, 13 जुलाई 2019

थोड़ा थोड़ा करके ज़िंदगी देते क्यों हो
थोड़ा थोड़ा करके ही मरते जाते हैं हम
 वो ज़िंदगी कैसी जो साथ तेरे मयस्सर न हुई
वो मौत क्या जो जनाज़े में तेरा कांधा न हुआ