Featured post

यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

कुछ लिहाफ यादों के


कुछ फूल सजा रखे हैं 
सूख गए हैं 
पर महक अब भी बाकी है 
कुछ ख़त बिना नाम के
 लिखे रखे हैं 
कुछ साल 
चादर की तरहा 
बिछा रखे हैं 
कुछ लिहाफ यादों के 
अब भी पुरसुकून हैं 
एक फूल याद है–?
 जो तुमने कभी भेजा था ?--
एक गुलदस्ता--?
  भिजवाया था मेरे पते पर
अब भी सजा रखा है
 यूँ ही –
फूल कभी बासी नहीं होते ना
उनकी महक
 यादों में बसती है-- शायद

कोई टिप्पणी नहीं: