कुछ सुबहों कि शाम नहीं होती
सिर्फ इंतज़ार होता है
लम्हों में बीतते जाते हैं साल
बरसों में बरसती शामें
गीली गीली सी आँखें
भीगा भीगा सा मन
बारिश कि फुहारें हैं
बरसती कहाँ हैं
उमस सी है मन में
आंखों पे छाई कोई बदली सी है
सिर्फ इंतज़ार होता है
लम्हों में बीतते जाते हैं साल
बरसों में बरसती शामें
गीली गीली सी आँखें
भीगा भीगा सा मन
बारिश कि फुहारें हैं
बरसती कहाँ हैं
उमस सी है मन में
आंखों पे छाई कोई बदली सी है
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