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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

उमस

कुछ सुबहों कि शाम नहीं होती 
सिर्फ इंतज़ार होता है 
लम्हों में बीतते जाते हैं साल
बरसों में बरसती शामें
गीली गीली सी आँखें
भीगा भीगा सा मन
बारिश कि फुहारें हैं
बरसती कहाँ हैं
उमस सी है मन में
आंखों पे छाई कोई बदली सी है

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