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यादों की चिड़िया

अब मिलना नही होता तुझसे कभी पर , तेरे ख़त अब भी मिल जाते हैं , बिखरे हुए दानों की तरह मुझे यूँ ही  कभी कभी,  झांकते हुए से   कभी इस पल्ले से ...

मंगलवार, 29 जुलाई 2014

कब आओगे -मोरे अंगना


इंतेहा
इंतेहा
कबआओगे पाहुन मोरे अंगना
सावन भी अब जावन को हैसावन भी अब जावन को है
नीर नयन  बदरी बनबन  जल छलकावत
आओगेकब  साजन तुम अब मोरे अंगना
राह ताकत दिन मास हो गए मास हो गए साल
अबहूँ तोरी आस न छूटी टूटी साँसन की जयमाल
टूटी साँसन की जयमाल सखी री कहना उनसे
उड़तापाखी उन्हें पुकारे जब वो आएं मेरे द्वारे
सूखे फूल से खुशबू यूँ तो उड़ जाती है
याद तुम्हारी मेरे दिल से कभी गयी ना
और आस भरे ये नैन अभी तक बाट निहारें
राह तुम्हारी तक तक कर अब देर हो गयी
नयन मूँद कर लेटी दो पल ना जानो  अबेर हो गयी
इस सृष्टि का ये नियम है लगा है आना जाना
इस जनम नहीं  ना सही
उस जनम भी तुमको पड़ेगा आना
कब आओगे पाहुन मोरे अंगना
विकल नयन हो बेकल पल पल राह निहारे
सावन भी अब जावन को है
नीर नयन  बदरी बनबनकर   जल छलकावें
आओगेकब  साजन तुम -अब मोरे अंगना

राह तकत दिन मास हो गए; मास हो गए साल
अबहूँ तोरी आस न छूटी टूटी साँसन की जयमाल
टूटी साँसन की जयमाल सखी री
जब वो आएं मेरे द्वारे कहना उनसे
उड़ता पाखी उन्हें पुकारे

सूखे फूल से खुशबू यूँ तो उड़ जाती है
याद तुम्हारी मेरे दिल से कभी गयी ना
और आस भरे ये नैन अभी तक बाट निहारें

राह तुम्हारी तक तक कर अब देर हो गयी
नयन मूँद कर लेटी दो पल
ना जानो  अबेर हो गयी

इस सृष्टि का ये नियम है
लगा है आना जाना
इस जनम नहीं  ना सही
उस जनम भी तुमको पड़ेगा आना

शनिवार, 26 जुलाई 2014

इंतेहा --

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बैठेहो कभी घंटों किसी तस्वीर के आगे
 अनवरत बिना कुछ बोले
बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे
बस देखतेउन आँखों की गहराइयों में
 अकेले उसके साथ होने का अहसास
 कुछ अलगसी दुनिया
कुछ पाने का अरमान नहीं
कुछ खोने का भय नहीं
सिर्फ एक सिहरन सी
सिर्फ एक छुअन सी
 मानो लहर कोई समंदर की भिगो गयी हो धीरे से
 और भीगी ठंडी रेत से उठती
 तपन को समो लेने का एहसास
 आँखें मूँद के उस पल
 उस चाहत  को पीने का अहसास
नही किया न--?
 तो कैसे समझ पाओगे
मेरी मोहब्बत को, मीरा कीपूजा को, राधा के प्रेम को
 दीवानगी है ये प्रेम नही है कहोगे तुम
 जानती हूँ मैं
 मगर प्यार की इंतिहा ही तो है दीवाना पन  

शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

उमस

कुछ सुबहों कि शाम नहीं होती 
सिर्फ इंतज़ार होता है 
लम्हों में बीतते जाते हैं साल
बरसों में बरसती शामें
गीली गीली सी आँखें
भीगा भीगा सा मन
बारिश कि फुहारें हैं
बरसती कहाँ हैं
उमस सी है मन में
आंखों पे छाई कोई बदली सी है

Haath Chhute Bhi To Rishtey Nahi Chhoda Karte | Ghazal Video Song | Jagj...

सोमवार, 13 जनवरी 2014

थोड़ा सा बचपन

नहीं जानती कि आज दिन कौन सा है 
आज मदर्स डे है कि नहीं ;मगर -
आज हमने बहुत मस्ती की 
मैंने और मेरी बेटी ने 
घूमे फिरे और अपनी प्यारी बाइक पर खूब दूर तक राइड की 
पता है सारनाथ तक गए थे हम
अपने टू व्हीलर पर, उतनी तेज़ ;जितना कोई चल सकता है यहाँ -
मगर सच ,मजा बहुत आया, बचपन अपना याद आ गया -
सारी चिंताओं को छोड़ कर ,परेशानियों से मुंह मोड़ कर-
जीने का ये भी एक तरीका है -
- और फिर ;हम मॉल भी गए और शौपिंग भी की
न न घबराओ नहीं , शौपिंग नहीं -सिर्फ विंडो शौपिंग
जैसी करते थे कॉलेज लाइफ में -पैसे जो नहीं होते थे
मगर उसकी बात ही कुछ और थी ;आज भी -
बस मजा आ ही गया, याद आ गया ;कि
--हमेशा पाना ही सब कुछ नहीं होता
देखने और पसंद करने का भी एक ख़ास ही मज़ा है .
खैर आइस क्रीम तो खाई हमने और बर्गर भी
बाँट कर ,उसने ज्यादा ,मैंने थोडा (shhh-- मैं डाइटिंग पर जो हूँ )
मगर खाया ;और सच कहूँ मजा उस से कहीं ज्यादा आया
और अब हम आ गए हैं घर ,वो सो रही है बगल में मेरे चुपचाप
थक जो गयी है, कल चली जायेगी तो फिर वही मैं अकेली -
मगर साथ तो होगी वो और मेरा थोडा सा बचपन ;
जो लौटा गयी है मुझे जाते जाते --चेतना

शनिवार, 4 जनवरी 2014

एक अहसास -पहले प्यार के नाम --
इक रूमानियत सी जहन पे तारी है सपनों की दुनिया में जी रही हूँ मैं 
सीने में इक हूक सी उठती है कभी तो लगता है कि जैसे तेरा खयाल आ गया 
इक उलझन सी है खायालों में ,इक ख़लिश सी जगी है सीने में 
इस उलझन इस ख़लिश को नाम दूँ तो क्या -?
निगाह तेरी खयालात भी तेरे हैं ----
चाहती हूँ कि न देखूँ तेरी जानिब मगर मुश्किल है --
जब भी कुछ सरगोशी सी होती है तो लगता है कि तू आ गया
नही होता है जब तू मेरे आसपास ,निगाहों को तलाश रहती है तेरी
और जब होता है मेरे सामने ,निगाहें क्यों झुकी सी जाती हैं
पलकों में तेरे सपने और दिल को तेरी चाहत है ज़रूर
ज़िंदगी भर हमसफर बन के चलने का खयाल भी है साथ-साथ
कितना मुश्किल है ;उफ --ये दिल को समझा पाना कि ;सब्र कर --
इस वक़्त तो ;सिर्फ =
रूमानियत सी ज़हन पे तारी है और सपनों कि दुनिया में जी रही हूँ मैं

_________________________________________________चेतना